नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में बात करेंगे Premanand ji Maharaj Biography Hindi के बारे प्रेमानंदजी महराज बायोग्राफी हिंदी में जिनकी प्रवचन से लाखो युवा सही रस्ते पर आया है। प्रेमानंदजी महराज ने आज कल के युवाओं में भगवान के प्रति एक अलग श्रद्धा जगाया है।
राधा रानी के परम भक्तों की बात होगी तो सबसे पहले श्री प्रेमानंदजी महराज के नाम सबसे ऊपर होगा। भक्ति में कितना शक्ति है इस कलयुग में जीता जगता उदाहरण है श्री प्रेमानंद महराज जी। राधा रानी के परम भक्तों में से एक है। श्री प्रेमानंदजी महराज की भक्ति का ही असर है कि सालों से दोनों किडनी खराब होने के बाद भी अपने भक्तों के लिए पैदल चल कर अपने आश्रम आते है। कुछ लोग उन्हें भगवान के अवतार भी मानते हैं। उनके भक्त उन्हें वृंदावन वाले बाबा के नाम से भी जानते है। आइए अब जानते है परम पूज श्री प्रेमानंद जी महराज के असली नाम कहा से आए उम्र संघर्ष भरी जीवन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
प्रेमानंद जी महराज का जन्म परिवार (Premanand ji Maharaj date of birth family)

राधा रानी जी का परम भक्त श्री प्रेमानंद जी महराज का जन्म 1972 में सरसौल ब्लॉक आखिरी गांव कान पुर उतर प्रदेश में हुआ था। एक गरीब ब्राह्मण परिवार में। इनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। इनके पिता का नाम शंभू पांडे हैं। और इनके माता का नाम श्री रमा देवी दुबे है। इनके एक बड़े भाई भी है जो संस्कृत के प्रखंड विद्वान थे।
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कैसे भक्ति के तरफ आकर्षित हुए प्रेमानंद जी महराज
दरअसल श्री प्रेमानंद जी महराज के दादा भी सन्यासी थे । उनके घर में बहुत ही पवित्र और भगवान के प्रति समर्पित माहौल रहा है। प्रेमानंद जी महराज के पिता शंभू पांडे ने भी बाद में संन्यास धारण कर लिया था। उनके माता जी श्री रमा देवी दुबे भी बहुत धार्मिक थी। वो सभी संतों का बहुत सामान करती थी। श्री प्रेमानंद जी महराज के माता पिता नियमित रूप से मंदिरों और अन्य जगहों पर संत की सेवा करते रहते थे। बाबा जी के एक बड़े भाई है जो संस्कृत के प्रखंड विद्वान पंडित है। घर में पवित्र माहौल था जिसने प्रेमानंद जी महराज को अध्यात्म की तरफ आकर्षित किया जिसका फल ये हुआ कि उन्होंने बचपन से ही पूजा पाठ किया करते थे। जब वो 5 वे क्लास में थे तभी उन्होंने श्री मद्भागवत पढ़ना शुरू कर दिया था। छोटी उम्र से ही जीवन का हर पहलू पर उनका ध्यान जाने लगा था। प्रेमानंद जी महराज के मन में एक सवाल आया कि क्या माता पिता का प्यार हमेशा बना रहता है। बचपन से उन्होंने आध्यात्मिकता की शुरुआत कर दिया था।
प्रेमानंद जी महराज ने 13 साल की उम्र में छोड़ दिया घर

प्रेमानंद जी जब 9 वीं कक्षा में थे तभी उन्होंने आध्यात्मिकता जीवन जीने और ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग पर चलने का फैसला किया। इस कम के लिए अपने परिवार से अलग होने को तैयार थे। 13 साल की उम्र में उन्होंने दीक्षा ले ली तब उनका नाम परा आर्यन ब्रह्मचारी परा प्रेमानंद जी महराज राधा राघवल्लभी संप्रदाय में संन्यास संग दीक्षा ली तब उनका नाम आनंदस्वरूप ब्रह्मचारी परा। महाकाव्य को अपनाने के बाद उन्हें एक और नया नाम मिला जो स्वामी आनंदआश्रम था।
भगवान शिव के विशेष कृपा रहे प्रेमानंद जी के ऊपर
प्रेमानंद जी महराज ने अपने सत्संग में कई बार जिक्र किया है कि वो पहले भगवान शिव के भक्त थे। पहले वो भगवान शिव के कहे गए बातों को पालन किया करते थे।उन्होंने कभी भी आश्रम की जीवन को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने अपने जीवन के अधिकांश समय अकेले या दिव्य संतों से साथ ही बिताया है। एक संत के रूप में प्रेमानंद जी महराज ने कभी भी भोजन मौसम और कपड़ों को लेकर कभी भी परवाह नहीं किया। और वह हमेशा हरिद्वार बनारस के घाट के आस पास ही रहा करते थे। वह प्रति दिन गंगा अस्नान ही किया करते थे फिर चाहे कोई मौसम हो। इस बातों में कोई शक नहीं है कि महराज जी को भगवान शिव का आसिर बाद प्राप्त था।
कैसे वृंदावन पहुंचे प्रेमानंद जी महराज
प्रेमानंद जी महराज जी महराज घर से निकलने के बाद संन्यास के शुरुआत समय में काफी परेशान रहे। पहले नद्देश्वर धाम में रहे फिर भूखे प्यासे इधर उधर भटकने के बाद बनारस पहुंचे वहीं गंगा अस्नान पूजा पाठ ध्यान करने लगे तुलसी घाट पर। बाद में एक संत से मुलाकात हुई उनसे प्रभावित हो कर स्वामी श्री श्रीराम शर्मा आयोजित राशलीला में गए। पूरे एक महीने तक रासलीला में वही पर रहे। यही से प्रेमानंद जी महराज के राधा रानी के और श्री कृष्ण जी का दर्शन करने का मन हुआ। वह अन्य संतों के साथ मथुरा की ट्रेन पाकर ली मथुरा पहुंचे। जब प्रेमानंद जी महराज वृंदावन वन पहुंचे तो उन्होंने कोई नहीं जानते थे। और श्री वृंदावन के रहन सहन संस्कृति से पूरी तरह अनजान थे। प्रेमानंद जी रोजाना वृंदावन वन के परिक्रमा करते और श्री बाके बिहारी के दर्शन करते थे। इस दौरान उनकी मुलाकात कई संतो से हुई। वही एक दिन उनकी मुलाकात एक महान संत से हुई जो उन्हें एक सलाह दिया कि उन्हें राधा वल्लभ मंदिर में जाना चाहिए।
कौन है श्री प्रेमानंद जी महराज के गुरु

प्रेमानंद जी महराज के गुरु श्रीहित गौरांगी शरण महराज रहे। गुरु ने ही श्री प्रेमानंद जी महराज का श्री कृष्णा के भक्ति के और ध्यान खींचा। पहले बाके बिहारी मंदिर फिर वृंदावन की राधावल्लभ मंदिरा उनका साधना की जगह बनी। राधावल्लभ मंदिरा में ही उनकी मुलाकात गौरांगी शरण महराज से हुई और उनका जीवन पूरी तरह से बदल गई। श्री गौरांगी शरण महराज के सानिध्य में श्री प्रेमानंद जी महराज 10 साल रहे यही श्री राधावल्लभी संप्रदाय से दीक्षा लेने के बाद उनका नाम प्रेमानंद जी महराज परा।
कैसे हुई श्री प्रेमानंद जी महराज के किडनी खराब
35 साल की उम्र में श्री प्रेमानंद जी महराज के पेट में एक बार दर्द उठा उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मेडिकल जांच हुई तो मालूम पड़ा कि भयानक संक्रमण हुआ जिसके कारण उनकी दोनों किडनी काम करना बंद कर चुकी हैं। और अब वो कुछ सालों की मेहमान है। लेकिन ये बात सुनते ही प्रेमानंद जी महराज ने अपने एक किडनी का नाम राधा तो दूसरे किडनी का नाम कृष्ण रख दिया। सालों से दोनों किडनी खराब होने के बावजूद वो प्रवचन करते है। कई उनके भक्त उनको किडनी देने की कोशिश किया लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया। ये उनकी अटूट श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता हैं जो श्री राधा श्री कृष्ण के प्रीति है।
कैसे करे श्री प्रेमानंद जी महराज के दर्शन
श्री प्रेमानंद जी महराज का वृंदावन वराह घाट के स्थित श्रीहित राधा केली कुंज आश्रम में उनका अस्थाई निवास है। प्रेमानंद जी महराज के जीवन भक्ति साधना राधा रानी के लिए समर्पित है। प्रेमानंद जी महराज रात 2 बजे छटीकरा रोड पर श्री कृष्ण सरनाम सोसाइटी से रमणरेती में बने अपने आश्रम श्रीहित राधा केली कुंज में आते है। वो अपने भक्तों के साथ 3 किलो मीटर के पद यात्रा पर निकलते है। जिसमे पूरे देश के भक्त के जन सैलाब उमड़ता है श्री प्रेमानंद जी महराज के दर्शन करते हैं। प्रेमानंद जी महराज पहले वृंदावन के पूरी परिक्रमा पर भी निकलते थे लेकिन अब स्वास्थ्य कारणों के कारण अब ऐसा नहीं करते है।
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प्रेमानंद जी महराज संक्षिप्त जीवनी
असली नाम | अनिरुद्ध कुमार पांडे |
अन्य नाम | प्रेमानंद जी महराज |
जन्म तारीख | 1972 |
जन्म अस्थान | सरसौल ब्लॉक कान पुर उतर प्रदेश |
पिता का नाम | शंभू पांडे हैं |
माता का नाम | रमा देवी दुबे |
भाई का नाम | ज्ञात नहीं |
उम्र | 61 वर्ष (2025 तक) |
जाती | ब्राह्मण |
धर्म | हिन्दू |
निष्कर्ष :–
आज के हमारे इस आर्टिकल में हमने आप को Premanand ji Maharaj Biography Hindi सरल भाषा में आप सभी के साथ साझा किए है। आशा करते है कि आप सभी को अच्छा लगा होगा। अगर अच्छा लगा है तो अपने परिवार दोस्तो के साथ इस आर्टिकल को साझा करे। धन्यवाद आप सभी को।